बिहार सरकार ने महिलाओं को सरकारी नौकरियों में अधिक भागीदारी दिलाने के लिए एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। अब राज्य में सभी सरकारी भर्तियों में महिलाओं को 35% आरक्षण दिया जाएगा। इस निर्णय का उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना, सामाजिक समानता बढ़ाना और उनकी भागीदारी को शासन-प्रशासन में मजबूत करना है।
क्या है 35% आरक्षण का फैसला?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह स्पष्ट किया कि राज्य सरकार सभी ग्रुप A, B, C और D की सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण देगी। यह नियम पहले से ही कुछ सेवाओं जैसे पुलिस और शिक्षा विभाग में लागू था, लेकिन अब इसे सभी सरकारी विभागों में विस्तारित किया गया है।
यह कदम महिलाओं को नौकरी पाने का बेहतर मौका देगा, खासकर उन वर्गों की महिलाओं को जो अब तक सरकारी सेवाओं से वंचित थीं।
किन महिलाओं को मिलेगा लाभ?
- राज्य की स्थायी निवासी महिलाएं इस आरक्षण का लाभ उठा सकेंगी।
- सभी वर्गों की महिलाएं – सामान्य, पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति एवं जनजाति – को यह आरक्षण मिलेगा।
- यह आरक्षण कुल रिक्तियों में से 35% होगा, न कि अलग से। यानी यदि 100 पद हैं, तो उनमें 35 पद महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे।
सरकार का उद्देश्य क्या है?
बिहार सरकार के अनुसार:
- महिलाओं को शासन और प्रशासन में प्रत्यक्ष भागीदारी दिलाना
- रोज़गार दर में वृद्धि करना, खासकर ग्रामीण महिलाओं के लिए
- महिला सशक्तिकरण की दिशा में ठोस पहल
इसका क्या होगा प्रभाव?
- नौकरी में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी
- ग्रामीण व आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं को बेहतर अवसर मिलेगा
- महिलाओं में आत्मविश्वास और सामाजिक सुरक्षा की भावना बढ़ेगी
- राज्य में लैंगिक संतुलन और समावेशिता को बढ़ावा मिलेगा
क्या बोले अधिकारी और विपक्ष?
राज्य सरकार के अफसरों ने इस फैसले को महिला सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम बताया है। वहीं कुछ विपक्षी नेताओं ने कहा कि केवल आरक्षण देने से समस्या हल नहीं होगी, साथ ही बुनियादी सुविधाएं, शिक्षा और ट्रेनिंग भी जरूरी हैं।
निष्कर्ष:
बिहार सरकार का 35% आरक्षण का निर्णय महिलाओं के लिए एक नई राह खोलता है। यह न केवल सरकारी नौकरी पाने के अवसरों को बढ़ाएगा, बल्कि राज्य में महिला सहभागिता और सामाजिक विकास को भी गति देगा। अगर आप महिला उम्मीदवार हैं और बिहार से हैं, तो यह आपके लिए एक सुनहरा अवसर है।